विश्व एवं भारत का भूगोल

विश्व एवं भारत का भूगोल | परीक्षा उपयोगी पूरक अध्ययन सामग्री के साथ | यूपीएससी एवं राज्य सिविल सेवा की परीक्षाओं हेतु उपयोगी पुस्तक

Course Features:

भारत एवं विश्व का भूगोल सामान्य अध्ययन की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में महत्वपूर्ण स्थान रहता है। वर्तमान समय की परीक्षा प्रणाली में संघ लोक सेवा आयोग की तुलना में राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में भूगोल से प्रश्न अधिक पूछे जाते है। हालांकि प्रश्नों की प्रकृति सम्बन्धित राज्य की प्रादेशिक भौगोलिक संरचना पर अधिक आधारित होती है। प्रारंभिक परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें मुख्य रूप से ब्रह्मण्ड व सौर मण्डल, पृथ्वी की उत्पत्ति, महाद्वीपों का भौतिक एवं आर्थिक ज्ञान, वायुमण्डल, जलमण्डल, मानचित्र आधारित प्रश्न और भारत के संदर्भ में भौतिक विभाजन व आर्थिक विभाजन से संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रारंभिक परीक्षा में भूगोल के सिद्धांत अर्थात् अवधारणाओं पर आधारित प्रश्न पूछने की प्रवत्ति भी देखी गयी है। हाल के वर्षो में भूगोल में भी समसामयिकी पर आधारित प्रश्नों की संख्या बढ़ी है। इन प्रश्नों को पर्यावरण एवं परिस्थितिकी के साथ समाहित करके इनको और अधिक उपयोगी बनाया गया है।

‘भारत एवं विश्व का भूगोल’ सामान्य अध्ययन के प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षार्थियों के लिए अति आवश्यक है यहाँ तक की निबन्ध लेखन एवं साक्षात्कार भी कहीं-न-कहीं भूगोल ज्ञान की अपेक्षा करता है। इसी कारण भूगोल का सूक्ष्म व वस्तुनिष्ठ ज्ञान आवश्यक है। अभ्यार्थी के समक्ष यह तो स्पष्ट हो गया कि भूगोल का अध्ययन भी विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जाना चाहिए। 

प्रमुख अभिलक्षणः
समग्र अध्ययन, रणनीति एवं कार्ययोजना
सम्पूर्ण विषयवस्तु का लेखन क्रमबद्धता के साथ बिन्दुवार प्रस्तुति।
सम्बन्धित विषयवस्तु में सारिणी, चित्र का निरूपण।
परीक्षापयोगी तथ्यों का बॉक्स में प्रस्तुतीकरण।
अभ्यास प्रश्न एवं स्मरणीय तथ्य ।
परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों का विषयवार वर्गीकरण व व्याख्यात्मक हल।
विषयवार मॉडल अभ्यास प्रश्न।

पुस्तक के लेखन में परम्परागत ज्ञान के साथ अद्यतन ज्ञान का बेहतर समावेश और समसामयिकी परिदृश्य के साथ लेखन कार्य किया गया है तथा अति-आवश्यक परीक्षापयोगी तथ्यों एवं आंकड़ों की पिक्टोग्राफिक प्रस्तुति की गयी है। प्रस्तुत पुस्तक के सम्पादन एवं संकलन तथा परिमार्जिन में एडीएम आजाद भगत सिंह, एसडीएम अश्वनी कुमार पाण्डेय, सीटीओ डॉ- पवन कुमार, उपेन्द्र वर्मा, प्रशान्त सिंह राठौर, प्रशान्त गौढ़ और डॉ- जलाल अहमद खान, दीप्ति यादव की सराहनीय एवं उल्लेखनीय भूमिका है। विषय-वस्तु के निर्माण एवं अमूल्य सुझाव के लिए मंत्र संस्थान के निदेशक प्रदीप श्रीवास्तव, लेखक वी-एस-पी- राय, अजीम अंसारी, डॉ- मुनाजिद हुसैन एवं सौरभ शंकर श्रीवास्तव इत्यादि विद्वतजनों, शुभचिंतकों के हम आभारी हैं, जिन्होंने अपने अमूल्य सुझाव देकर पुस्तक के कलेवर को अधिक उपयोगी बनाने में अपना सहयोग दिया।


पुस्तक के प्रारूप/संकलन और विषयवस्तु के निर्माण में सेन्ट स्टीफन्स कॉलेज के डॉ- पंकज मिश्रा, दीक्षांत आई-ए-एस- के संस्थापक निदेशक, डॉ- एस-एस- पाण्डेय, नेशनल पी-जी- कॉलेज के डॉ- पवन कुमार सिंह एवं रीतू जैन, आगरा कॉलेज, आगरा के एसोसिएट डॉ- अरूणदेय बाजपेयी, श्रीमती नीरू सिंह एवं पी-के- सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, राजकीय डिग्री कॉलेज के डॉ- जय प्रकाश वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर अनामिका सिंह इत्यादि विद्वतजनों के प्रति आभार प्रकट करते हैं। 

टाइपिंग, सेटिंग एवं तकनीक कार्य में विकास कुमार श्रीवास्तव एवं चन्द्रशेखर भट्ट जी को धन्यवाद देता हूँ। मैं श्प्दजमहतपजल म्कनबंजपवदश् के लिए श्री रजनीश सिन्हा, श्री विनीत शर्मा, श्री नवीन श्रीवास्तव एवं समस्त एडिटोरियल टीम के सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूँ। 

डॉ- शीलवन्त सिंह

भारत एवं विश्व का भूगोल सामान्य अध्ययन की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में महत्वपूर्ण स्थान रहता है। वर्तमान समय की परीक्षा प्रणाली में संघ लोक सेवा आयोग की तुलना में राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में भूगोल से प्रश्न अधिक पूछे जाते है। हालांकि प्रश्नों की प्रकृति सम्बन्धित राज्य की प्रादेशिक भौगोलिक संरचना पर अधिक आधारित होती है। प्रारंभिक परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें मुख्य रूप से ब्रह्मण्ड व सौर मण्डल, पृथ्वी की उत्पत्ति, महाद्वीपों का भौतिक एवं आर्थिक ज्ञान, वायुमण्डल, जलमण्डल, मानचित्र आधारित प्रश्न और भारत के संदर्भ में भौतिक विभाजन व आर्थिक विभाजन से संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रारंभिक परीक्षा में भूगोल के सिद्धांत अर्थात् अवधारणाओं पर आधारित प्रश्न पूछने की प्रवत्ति भी देखी गयी है। हाल के वर्षो में भूगोल में भी समसामयिकी पर आधारित प्रश्नों की संख्या बढ़ी है। इन प्रश्नों को पर्यावरण एवं परिस्थितिकी के साथ समाहित करके इनको और अधिक उपयोगी बनाया गया है।

‘भारत एवं विश्व का भूगोल’ सामान्य अध्ययन के प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षार्थियों के लिए अति आवश्यक है यहाँ तक की निबन्ध लेखन एवं साक्षात्कार भी कहीं-न-कहीं भूगोल ज्ञान की अपेक्षा करता है। इसी कारण भूगोल का सूक्ष्म व वस्तुनिष्ठ ज्ञान आवश्यक है। अभ्यार्थी के समक्ष यह तो स्पष्ट हो गया कि भूगोल का अध्ययन भी विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जाना चाहिए। 

प्रमुख अभिलक्षणः
समग्र अध्ययन, रणनीति एवं कार्ययोजना
सम्पूर्ण विषयवस्तु का लेखन क्रमबद्धता के साथ बिन्दुवार प्रस्तुति।
सम्बन्धित विषयवस्तु में सारिणी, चित्र का निरूपण।
परीक्षापयोगी तथ्यों का बॉक्स में प्रस्तुतीकरण।
अभ्यास प्रश्न एवं स्मरणीय तथ्य ।
परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों का विषयवार वर्गीकरण व व्याख्यात्मक हल।
विषयवार मॉडल अभ्यास प्रश्न।

पुस्तक के लेखन में परम्परागत ज्ञान के साथ अद्यतन ज्ञान का बेहतर समावेश और समसामयिकी परिदृश्य के साथ लेखन कार्य किया गया है तथा अति-आवश्यक परीक्षापयोगी तथ्यों एवं आंकड़ों की पिक्टोग्राफिक प्रस्तुति की गयी है। प्रस्तुत पुस्तक के सम्पादन एवं संकलन तथा परिमार्जिन में एडीएम आजाद भगत सिंह, एसडीएम अश्वनी कुमार पाण्डेय, सीटीओ डॉ- पवन कुमार, उपेन्द्र वर्मा, प्रशान्त सिंह राठौर, प्रशान्त गौढ़ और डॉ- जलाल अहमद खान, दीप्ति यादव की सराहनीय एवं उल्लेखनीय भूमिका है। विषय-वस्तु के निर्माण एवं अमूल्य सुझाव के लिए मंत्र संस्थान के निदेशक प्रदीप श्रीवास्तव, लेखक वी-एस-पी- राय, अजीम अंसारी, डॉ- मुनाजिद हुसैन एवं सौरभ शंकर श्रीवास्तव इत्यादि विद्वतजनों, शुभचिंतकों के हम आभारी हैं, जिन्होंने अपने अमूल्य सुझाव देकर पुस्तक के कलेवर को अधिक उपयोगी बनाने में अपना सहयोग दिया।


पुस्तक के प्रारूप/संकलन और विषयवस्तु के निर्माण में सेन्ट स्टीफन्स कॉलेज के डॉ- पंकज मिश्रा, दीक्षांत आई-ए-एस- के संस्थापक निदेशक, डॉ- एस-एस- पाण्डेय, नेशनल पी-जी- कॉलेज के डॉ- पवन कुमार सिंह एवं रीतू जैन, आगरा कॉलेज, आगरा के एसोसिएट डॉ- अरूणदेय बाजपेयी, श्रीमती नीरू सिंह एवं पी-के- सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, राजकीय डिग्री कॉलेज के डॉ- जय प्रकाश वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर अनामिका सिंह इत्यादि विद्वतजनों के प्रति आभार प्रकट करते हैं। 

टाइपिंग, सेटिंग एवं तकनीक कार्य में विकास कुमार श्रीवास्तव एवं चन्द्रशेखर भट्ट जी को धन्यवाद देता हूँ। मैं श्प्दजमहतपजल म्कनबंजपवदश् के लिए श्री रजनीश सिन्हा, श्री विनीत शर्मा, श्री नवीन श्रीवास्तव एवं समस्त एडिटोरियल टीम के सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूँ। 

डॉ- शीलवन्त सिंह